अमृत काल में नये भारत के नये सदन में गूँजी आतंक की भाषा
क्या लगता है आपको यह सभी किरदार कौन है ?कौन है वह व्यक्ति जो बेहिचक और बेखौफ हो भरे समाज में गालियां बक रहा है ? कौन है जो गालियां सुन रहा है ,और दिखाई देने वाले दोनों लोग कौन हैं जो इस तरह दी जाने वाली गलियों का आनंद उठा कर हंस रहे और वह समाज कौन सा है जहां यह घटना घट रही है जिन लोगों में विरोध की कोई हिम्मत नहीं हो रही ?
नमस्कार मैं हूं अमित कुमार और आप देखना शुरू कर चुके हैं खोज खबर अगर आप पहली बार हमारे चैनल को देख रहे हैं तो चैनल को सब्सक्राइब करें साथ ही साथ घंटी जैसी आक्रति को जरूर क्लीक करें जिससे लगातार आपको नए-नए विषयों पर सबसे पहले वीडियो मिलते रहे ।
अभी जिस वीडियो पर हम चर्चा कर रहे हैं वह आजादी के अमृत काल में नए भारत के नए संसद भवन के पहले विशेष सत्र का विशेष उद्बोधन है जो इस वीडियो में दिखाई देने वाले सभी किरदार हैं वे इस देश और सदन के माननीय सांसद हैं जिसमें गाली देने वाला , गाली खाने वाला और गाली सुनकर हंसने वाला भी इस देश का सांसद ही है ।
क्या इस प्रकार की भाषा का माननीय संसद सदस्य के मुंह से उद्घोष अपने देश में और देश के बाहर भी देश के लिए शर्मनाक नहीं होगा ? क्या गाली दे रहे सांसद रमेश बिधूड़ी की अपनी ही पार्टी उनके इस काम से शर्मसार नहीं होगी ?
अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो यह बात इस अमृतकाल के नए भारत में तो संभव नहीं लगती क्योंकि यह गाली गलौज की संस्कृति एक दिन के किसी घटनाक्रम की उपज नहीं है यह उस नर्सरी का कमाल है जहां पौधे को सींचा ही उसे पानी से जाता है जो हर दूसरे धर्म के खिलाफ घ्रणा और जहर आपके मन में घोलता है ।
अगर आप सोचते हैं कि यह घ्रणा केवल दूसरे धर्म के खिलाफ ही है तो आप फिर गलत हैं आप नजर उठा कर देखिए इस घृणा का ज्वार उन हिंदुओं के खिलाफ भी उतना ही तेज और प्रखर है जो इस नर्सरी के विचारधारा के से इत्तेफाक नहीं रखते यदि आप भी इस जहर भरी आग लगाऊ विचारधारा से मत्यैक्य नहीं रखते हैं तो आप भी दूसरे धर्म के मानने वालों की तरह ही इन के निशाने पर कभी भी आ सकते हैं।
क्या लगता है आपको यह गाली देने वाले सांसद विधूड़ी को अपनी पार्टी या सदन की ओर से किसी कार्रवाई का कोई डर या खतरा है नहीं वह अच्छी तरह जानता है कि आज के नए भारत में राजनीति में तरक्की करने का सबसे आसान तरीका यही है और यही सबसे बड़ी आज की राजनीतिक योग्यता इसके तमाम उदाहरण इस देश की राजनीति में मौजूद है अगर इस पर वार्ता की गई तो बात बहुत लंबी हो जाएगी ।
विधूड़ी का सदन में गालियां देना नहीं है क्योंकि जिसने जो सीखा और पढ़ा है और जैसे संस्कार हैं उससे आप उसी की उम्मीद कर सकते हैं क्योंकि विधूड़ी के पूर्व में भी अरविंद केजरीवाल और गांधी नेहरू परिवार आदि पर बेहद आपत्तिजनक बयान दे चुके हैं ।
इन बयानों के बाद लगातार प्रमोशन की सीढ़ियां चढ़ने वाले विधूड़ी ने तो अपने राजनैतिक विरोधी केजरीवाल के बच्चों तक पर प्रश्न चिन्ह उठाकर उनके जन्म के लिए पड़ोसियों तक को जिम्मेदार हरा दिया इस आपत्तिजनक बयान के बाद उन्हें पार्टी में हाथों-हाथ लिया जाने लगा ।
लेकिन सबसे दुखद यह है की अटल आडवाणी की विरासत संभालने वाली पार्टी आज सचमुच संस्कार के नाम पर इतनी कंगाल हो चुकी है कि उसके वरिष्ठतम सदस्य रविशंकर प्रसाद और डा हर्षवर्धन इस गाली गलौज का भरे सदन हंसकर आनंद ले रहे हैं विरोध की तो उम्मीद और बात दोनों ही छोड़ दीजिए ।
यह द्रश्य लगभग महाभारत काल के दुर्योधन के उस सदन जैसा है जिसमें दुहशासन द्रोपदी के चीर को लगातार सत्ता के मद में मदहोश हो खींचता जाता है और पूरा सदन अट्टहास के साथ आनंद ले रहा होता है। आज नये भारत के नये सदन में भी भजपा के सांसदों का वही अट्टहास गूंजता हुआ दिखाई दिया।
क्या नए भारत में इस प्रकार की भाषा को अब आम भाषा की मान्यता मिल जानी चाहिए क्या सामने से आने वाली गलियों के लिए आपने भी अपने आप को मानसिक रूप से तैयार कर रखा है ?
क्या हमारे आपके पास वैचारिक तर्क समाप्त हो चुके हैं केवल लात जूता और गाली गलौज कर ही देश को आगे चलाया जाएगा सबसे मजेदार बात तो यह रही बाहर निकल देख लेंगे सुनकर ऐसा लगा की गली का कोई गुंडा या मवाली सदन में यह बात कह रहा हो।
सोचना विचारना आपको है यह देश आपका और आपके बच्चों के भविष्य का है जिस पर कुछ नफरती एजेंडा चलने वाले लगातार कब्जा करते जा रहे हैं आपको धर्म के नाम पर मूर्ख बनाया जा रहा है ऐसे नफरती आपके भी अगल-बगल मौजूद है जो आपकी किसी भी समस्या के कारण को सरकार की नाकामी से घुमा कर सीधे-सीधे दूसरे धर्म के इस इस देश में मौजूदगी की वजह से जोड़ देते हैं हर बात में आपके दिमाग में जहां मीठे मीठे दूसरे धर्म के खिलाफ केवल जहर घोलते रहते और यह सब वह भी राष्ट्रवाद नाम पर यह लोग उसी नर्सरी की पैदाइश है जो केवल सत्ता की भूखे है यह नर्सरी अपनी सत्ता के लिए आप और आपके बच्चों का बलिदान चाहती है तो आप तैयार रहें अपनी तर्क शक्ति को जाग्रत करें और हर बात और विषय को तर्क की कसौटी पर जरूर परखें आप सभी विद्वान लोगों के मस्तिष्क पर धार्मिक भावनाओं के नाम पर अनैतिक कब्जे की मंशा है कुछ संघठनों की ।
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राजेश विदूड़ी सांसद के बिगड़े बोल सदन में हंगामा #rajeshbaduri #loksabha
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