एयर इंडिया प्लेन क्रैश: जानकारों के मुताबिक़- रिपोर्ट जवाब देने के बजाय कई सवाल पैदा करती है
12 जून को अहमदाबाद से लंदन के गैटविक जा रहा विमान क्रैश हो गया 

पिछले महीने अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे की शुरुआती जाँच रिपोर्ट आ गई है. यह र‍िपोर्ट एयरक्रॉफ़्ट एक्‍सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्‍यूरो या वायुयान दुर्घटना अन्‍वेषण ब्‍यूरो (एएआईबी) ने तैयार की है. इसमें हादसे से जुड़ी कई अहम बातों पर रोशनी डाली गई है.

रिपोर्ट बताती है कि टेकऑफ़ के कुछ ही सेकंड बाद दोनों इंजनों को जाने वाले ईंधन की आपूर्ति बंद हो गई थी. फ़्यूल कट ऑफ़ स्विच 'रन' से 'कट ऑफ़' पोज़िशन में चले गए थे. इसके कुछ ही सेकेंड बाद हवाई जहाज़ दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया.

इस र‍िपोर्ट पर बी बी सी के अनुसार कई अहम पहलुओं पर हवाई जहाज़ से जुड़े मामलों को जानने-समझने वाले कई व‍िशेषज्ञों से बात की. उन्‍होंने र‍िपोर्ट से न‍िकलते संकेतों का व‍िश्लेषण क‍िया और कुछ अहम बातों की ओर ध्‍यान द‍िलाया. इनका मानना है क‍ि र‍िपोर्ट जारी करते समय और पारदर्श‍िता बरतनी चाह‍िए थी. इस र‍िपोर्ट को हादसे से उपजे कई सवालों के जवाब देने चाह‍िए थे.

फ़्यूल कंट्रोल स्‍व‍िच क्‍या हैं और क्‍या करते हैं?
विमान में सवार सिर्फ़ एक यात्री की जान बची थी, जबकि 241 लोगों की जान चली गई थी 

विमान में सवार सिर्फ़ एक यात्री की जान बची थी, जबकि 241 लोगों की जान चली गई थी

र‍िपोर्ट आने के बाद एक शब्‍द बार-बार आ रहा है- 'फ़्यूल कंट्रोल स्‍व‍िच' या 'फ़्यूल कट ऑफ़ स्‍व‍िच'.
बी बी सी के अनुसार हवाई जहाज़ मामलों के व‍िशेषज्ञ संजय लज़ार बताते हैं, "फ़्यूल कंट्रोल स्‍व‍िच विमान के इंजनों में ईंधन की सप्‍लाई को नियंत्रित करते हैं. इनका काम है, क‍िसी हवाई जहाज़ के इंजन में ईंधन की सप्लाई को चालू या बंद करना.'' उनके मुताब‍िक, "कट ऑफ" का मतलब है, इंजन तक ईंधन का पहुँचना बंद हो जाना. इससे इंजन बंद हो जाते हैं."

जब हादसा हुआ तो क्‍या हुआ
हादसे के बाद की हालत साफ़ करते हुए कैप्‍टन शक्‍त‍ि लुंबा कहते हैं, ''जब विमान नीचे गिरा तब स्विच 'रन' की हालत में थे. इंजन चालू हो रहे थे. इंजन चालू होने की प्रक्रिया शुरू हुई थी लेकिन पूरी तरह चालू नहीं हो पाई थी. इसी वजह से हवाई जहाज़ में बिजली की आपूर्ति रुक गई. इसके बाद रैम एयर टर्बाइन (रैट) नीचे आया.''

संजय लज़ार ने बताया, जब हवाई जहाज़ के ब‍िजली के सभी स्रोत फेल हो जाते हैं तो ऐसी आपात हालत में जहाज से यह रैट यानी रैम एयर टरबाइन बाहर न‍िकल आता है.


व‍िशेषज्ञों की राय में अब भी कई सवाल

एविएशन व‍िशेषज्ञ संजय लज़ार की राय है, ''इस र‍िपोर्ट से सवाल ज़्यादा उठते हैं. जवाब कम म‍िलते हैं.''

दूसरी ओर, कैप्टन मोहन रंगनाथन का कहना है, ''जब आप क‍िसी र‍िपोर्ट की शुरुआत अस्‍पष्‍ट और गोलमोल भाषा और आँकड़े से करते हैं तो उसके भरोसेमंद होने पर सवाल उठने लगते हैं."

उनके मुताबि‍क, "उनके पास सीसीटीवी की दो तस्‍वीरें हैं. ये जहाज़ के टेकऑफ़ और 'रैट' न‍िकलते वक़्त की हैं. ये तस्‍वीरें बहुत साफ़ हैं.''

कैप्‍टन मोहन का कहना है, "ये तस्वीरें पहले दिन से ही उनके पास थीं. उस वक़्त टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर 787 विमान के बारे में संदेह जताया जा रहा था. इसकी वजह से परिवारों की मानसिक तकलीफ़ भी बढ़ी.''

उनका कहना है, "अगर उन्होंने शुरू में ही ये तस्वीरें जारी कर दी होतीं, तो लोगों के मन में विमान के बारे में जो भी संदेह थे, वो ख़त्म हो जाते."

जबक‍ि संजय लज़ार पूछते हैं, ''जब तक गहन और पूरी जाँच नहीं हो जाती है, एएआईबी अपनी र‍िपोर्ट में एक लाइन में यह कैसे कह सकती है कि बोइंग या जीई (जनरल इलेक्‍ट्रिक) के बारे में कोई सिफारिश नहीं है.'' उनके मुताब‍िक, ऐसा कहना उन्हें ज़िम्मेदारी से पूरी तरह मुक्त कर देना है.
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