Digital Arrest
हरियाणा के फरीदाबाद से सामने आया है यह मामला यहां पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई के लिए विदेश जाने की तैयारी कर रही लड़की को साइबर ठगों ने अपना शिकार बनाया। इस दौरान उसे लगातार 17 दिन तक उसके ही घर में डिजिटली अरेस्ट करके रखा गया।
सोचिये कितने शातिर हैं यह ठग कि इस दौरान उसी घर में रह रहे परिजनों को भी यह लड़की कुछ भी नहीं बता पाई। उन्हें लगा कि लड़की लैपटॉप पर कुछ जरूरी काम कर रही है। जबकि स्थिति बिल्कुल इसके विपरीत थी। लड़की को डिजिटली अरेस्ट किया गया था। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर डिजिटली अरेस्ट क्या है और इसमें किसी को पता क्यों नहीं चलता तो चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर इसमें साइबर अपराधी आपको कैसे मजबूर करते हैं?
पहले डराया फिर समझाया और शुरू हो गया साइबर ठगी का खेल
डिजिटली अरेस्ट की पूरी कहानी जानने के लिए आपको फरीदाबाद की घटना भी जाननी चाहिए। दरअसल, फरीदाबाद निवासी छात्रा अनन्या मंगला ने साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। इसमें अनन्या ने बताया कि 12 अक्टूबर को उसके पास एक कॉल आई। फोन रिसीव करते ही कॉलर ने खुद को लखनऊ कस्टम विभाग का ऑफिसर बताया। यहीं से छात्रा को ठगी के जाल में फंसाने का सिलसिला शुरू हुआ। छात्रा को दबाव में लेने के लिए खुद को कस्टम अधिकारी बताने वाले साइबर ठग ने कहा कि कंबोडिया जा रहे पार्सल में छात्रा का आधार नंबर लिंक है। इस पार्सल में कई फर्जी पासपोर्ट और अन्य कार्ड हैं।
अगर यह पार्सल आपका नहीं है तो आप आज ही इसकी एफआईआर दर्ज कराएं। वरना लखनऊ कोर्ट में पेश होना पड़ेगा। बाद में छात्रा को स्काइप के जरिए वीडियो कॉल पर आने के लिए कहा गया। वीडियो कॉल पर उसे थाना, पुलिस अधिकारी और कर्मचारी दिखाए गए। इतना ही नहीं, उसे फर्जी सीबीआई अधिकारी और कस्टम अधिकारी से भी मिलवाया गया। ये था साइबर ठगी के जाल में फंसाने का तरीका। अब यहां से शुरू होती है ठगी की कहानी...
भरोसे में लेकर सेटलमेंट के नाम शुरू होता है ठगी का खेल
साइबर एक्सपर्ट नवीन कुमार की मानें तो ये सब दिखाकर साइबर ठगों ने छात्रा को भरोसे में लिया। इसके बाद उन्होंने छात्रा के संबंध मानव तस्करी, बैंक अधिकारी से जोड़कर उसे डरा दिया। इस बीच सीबीआई अफसर बने अधिकारी ने बताया कि इन सब मुकदमों से बचाने के लिए आपको 15 लाख रुपये देने पड़ेंगे। छात्रा ने बताया कि उसके पास इतने पैसे नहीं हैं। इसपर साइबर ठगों ने नई चाल चली और छात्रा को कुछ समय देते हुए स्काइप के आसपास ही रहने को कहा। इस दौरान चेतावनी भी दी कि अगर वह स्काइप से इधर-उधर होती है तो उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा आप अपने घर परिवार और रिश्तेदारों, दोस्तों से पैसे लेकर उन्हें 15 लाख रुपये दे दीजिए। इसके बाद आपको किसी केस में फंसने नहीं देंगे। छात्रा 17 दिन तक अपने ही घर के एक कमरे में कैद रही। इसके बाद उसने अपनी पढ़ाई के लिए अकाउंट में जमा ढाई लाख रुपये आरोपियों के अकाउंट में ट्रांसफर किए और 17 दिन बाद बंधनमुक्त हो गई। बाद में उसने लोगों को बताया तो पता चला कि वह साइबर ठगी का शिकार हुई है।
अब जानते हैं क्या होता है डिजिटली अरेस्ट?
साइबर एक्सपर्ट नवीन कुमार की मानें तो डिजिटल अरेस्ट में आरोपी पर मोबाइल या फिर लैपटॉप में स्काइप पर वीडियो कॉलिंग या अन्य एप के जरिए नजर रखी जाती है। उसे नियमों के तहत वीडियो कॉलिंग से दूर नहीं होने दिया जाता है। यानी वीडियो कॉल के जरिए एक तरह से आरोपी को उसके घर में कैद कर दिया जाता है। इस दौरान न तो वह किसी से बात कर सकता है और न किसी के पास ज्यादा देर खड़ा हो सकता है। उसे वीडियो कॉलिंग के दौरान हर समय अपनी आवाज सुनाने के लिए मजबूर किया जाता है।
इसके अलावा अगर मोबाइल एप के जरिए निगरानी रखी जा रही है तो एप पर लगातार चैटिंग और ऑडियो -वीडियो कॉल कर उसपर नजर रखी जाती है। ऐसे में आरोपी न तो किसी से मदद मांग सकता है और न किसी को अपनी कहानी बता पाता है। बस उसे जो निर्देश मिलते हैं, उसी के हिसाब से काम करना पड़ता है। इस तरह का खेल किसी के साथ भी हो सकता है। ऐसे में अपने सबसे करीबी थाने में इसकी सूचना देकर मामले की तहकीकात करनी चाहिए।
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