कभी महाराष्ट्र में दहाड़ने
वाले शिवसेना के
शेर इन दिनों
खामोशी से इंतजार
कर रहे हैं
कि राज्य में
उन्हें कितनी सीटें लड़ने
को मिलेंगी। भाजपा
के साथ सीट
बंटवारे के नतीजे
की प्रतीक्षा करते
करते एक-एक
दिन बीत रहा
है और अब
सब लगभग मान
चुके हैं कि
श्राद्ध पक्ष बीतने
के बाद शनिवार
या रविवार को
पत्ते खुलेंगे। शिवसेना
से जुडे़ सूत्र
मानते हैं कि
विधानसभा चुनाव से पहले
ही पार्टी अध्यक्ष
उद्धव ठाकरे के
सामने चुनौती है
कि भाजपा के
साथ सीट बंटवारे
में सम्मानजनक आंकडे़
पर समझौता करें।
उद्धव को महाराष्ट्र
के मुख्यमंत्री देवेंद्र
फडणवीस पर पीएम
नरेंद्र मोदी और
भाजपा अध्यक्ष अमित
शाह से अधिक
भरोसा है कि
वे इस साल
फरवरी में संयुक्त
प्रेस कॉन्फ्रेंस में
किए गए 50-50 सीट
बंटवारे की बात
निभाएंगे। मगर वर्तमान
हालात में भाजपा
हाईकमान इस पर
कितना राजी होगा,
यह भी उद्धव
जानते हैं।
उद्धव के करीबी
कहते हैं कि
वह उदार हैं
और समय की
हकीकत पढ़ना जानते
हैं। उन्हें पता
है कि शिवसेना
के लिए भी
इस समय यही
बेहतर है कि
भाजपा के साथ
मिल कर चुनाव
लडे़। ऐसे में
वह पार्टी के
वरिष्ठ नेताओं के साथ
यह भी विचार
कर चुके कि
कम सीटों पर
लड़कर अगर 2014 की
63 से ज्यादा सीट
जीतने में कामयाब
रहे तो इसे
पार्टी की ताकत
में इजाफा ही
माना जाएगा। पार्टी
मान रही की
राज्य में कांग्रेस
और एनसीपी की
ताकत बहुत क्षीण
हो चुकी है
और इसका फायदा
भाजपा के साथ
उसे भी मिलेगा।

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