क्या अब आतंकवादियों
ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर
पर सांठगांठ करके
आतंकी कार्रवाइयों करने
को अपनी स्थायी
रणनीति बना लिया
है. हाल ही
में मिली कुछ
खुफि़या जानकारियों के बाद
एजेंसियां अब इसी
सवाल पर मंथन
कर रही हैं.
हाल ही में
मिले कई ऐसे
सुराग इस आशंका
को सच साबित
कर रहे हैं.
पहले भी आतंकवादियों
ने ऐसे गठजोड़
किए थे, लेकिन
अब इनके ज्यादा
व्यवस्थित और संगठित
होने की ख़बरें
हैं.
सबसे बड़ी जानकारी
ये है कि
अल क़ायदा अब
जैश ए मोहम्म्द
के साथ बहुत
क़रीब से मिलकर
काम कर रहा
है. अब्दुल्ला अल्हंद
नाम का एक
आतंकवादी जो अल
क़ायदा के लिए
काम करता है
ने भारत में
पठानकोट हमले की
तर्ज पर आत्मघाती
हमले की योजना
बनाई है. इसके
लिए उसकी मदद
जैश ए मोहम्मद
करेगा. यानि हमले
की जगह की
रेकी करना, हमलावर
तैयार करना और
हमले की पूरी
कार्रवाई जैश ए
मोहम्मद करेगा. लेकिन इस
हमले की ज़िम्मेदारी
अल क़ायदा लेगा.
इसके लिए पाक
अधिकृत कश्मीर में मुज़फ्फराबाद
ज़़िले के ख़ैर
गली नामक गांव
में ट्रेनिंग कैंप
खोला गया है.
दूसरी बड़ी ख़बर
ये है कि
अफ़ग़ानिस्तान के ग़ज़नी
ज़िले के अंदार
इलाक़े में जैश
ए मोहम्मद और
लश्करे तैयबा के क़रीब
1200 आतंकवादी तालिबान के साथ
मिलकर लड़ने के
लिए इकट्ठे हुए
हैं. तालिबान ने
12 अप्रैल को अफ़ग़ानिस्तान
की सरकार और
नाटो सेनाओं पर
हमले के लिए
नए अभियान की
घोषणा की थी,
जिसे अल फ़तह
नाम दिया गया
है. इन आतंकवादियों
की ट्रेनिंग के
लिए पाकिस्तान के
क़बायली इलाक़ों में ख़ैबर
और ख़ुर्रम ज़िलों
में कैम्प खोले
गए हैं.

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