जनता हलाल भूमाफिया और भ्रष्ट अधिकारी मालामाल कानपुर दक्षिणकानपुर नगर के थाना नौबस्ता स्थिति मछरिया क्षेत्र में तेवेंद्र सिंह नाम के व्यक्ति से साबरी बेगम के द्वारा 26 लाख में एक प्लाट खरीदा जाता है जिसका दाखिल खारिज व कब्जा भी उसे प्राप्त होता है वह गेट बाउंड्री कराकर अपने तीन मानसिक दिव्यांग बच्चों के लिए आशियाना बनाने की उम्मीद में उसे छोड़ रखती है कुछ दिनों बाद 2022 में एक अन्य भूमिया संदीप मिश्रा की नजर उक्त प्लाट पर पड़ती है और प्लाट मालिक को कमजोर और बेसहारा जान कर उसने ताला तोड़कर उक्त प्लाट पर अपना कब्जा कर लिया और अपनी आरजी बताते हुए दो अन्य लोगों को बेच भी डाला
यहां से शुरू होता है पीड़ितों के उत्पीड़न का संदीप मिश्रा का असली खेल पीड़ितों के द्वारा पुलिस के पास शिकायत करने पर जांच के नाम पर लगातार ऊपर से नीचे तक टरकाय जाने लगा और इधर संदीप मिश्रा ने पुलिस के संरक्षण में निर्माण कार्य शुरू कर दिया इधर जांच के नाम पर ऊपर ऊपर जिला अधिकारी और कमिश्नर तक शिकायत करने के बावजूद कोई कार्यवाही न होते व स्थिति में कोई बदलाव ना देखते हुए पीड़ित पक्ष न्यायालय की शरण में जाता है और न्यायालय से उसे यथा स्थिति बनाए रखने का स्टे प्राप्त हो जाता है लेकिन भूमिया कहां मानने वाला था वह लगातार स्टे प्राप्त होने के बावजूद पुलिस संरक्षण में काम चालू रखता है रखता है पीड़िता से हुई बातचीत के कुछ रिकॉर्डिंग इधर संदीप मिश्रा निर्माण के बाद खरीदार को अपने समर्थकों के साथ प्लांट पर कब्जा देने पहुंचता है तब पीड़ित पक्ष इसका विरोध करता है तो मारपीट की जाती है इस पर पीड़ित पक्ष ने 112 पर शिकायत की पुलिस तत्काल पहुंचती है और काम रोकने की हिदायत के साथ गेट पर न्यायालय के स्टे आदेश को लिखवा कर ताला डाल देती है अब यहां सवाल उठता है कि KDA की भूमि पर दूसरी अराजी की रजिस्ट्री कैसे हो गई रजिस्ट्री के बाद दाखिल खारिज और कब्जा कैसे और किसने दे दिया न्यायालय के स्टेट आदेश के बावजूद पुनः रजिस्ट्री कैसे हो गई और कब्जे के साथ निर्माण प्रारंभ हो गया फिर भी FIR क्यों नहीं की गई आखिर कहां से आती है इन भू माफिया को योगी सरकार में इस प्रकार की हिमाकत करने की ताकत कौन लोग लगा रहे योगी सरकार के जीरो टॉलरेंस वाले संदेश में पलीता शासन में कौन लोग हैं जो ऐसे भूमाफियों की मदद करते हैं दाखिल खारिज और कब्जा देने वाले अधिकारियों के खिलाफ क्यों नहीं हो रही जांच और कार्यवाही आखिर क्या गलती केवल गरीब खरीददार की ही है या उन अधिकारियों की भी जो इस प्रकार के भ्रष्टाचार में लिफ्ट मिलित दीमक की तरह सरकार की छवि को धूमिल करने में लगे हैं आखिर कौन है जो इस भ्रष्टाचार रूपी दानव को ऑक्सीजन की आपूर्ति कर जिंदा रखे हुए हैं अगर सरकार को राम राज्य की अवधारणा साकार करनी है तो इस प्रकार के अधिकारियों पर कठोर से कठोर कार्रवाई करनी ही होगी जिससे आगे के लिए मिसाल साबित हो और इस प्रकार के प्रकरण की पुनरावृत्ति ना हो सके साथ ही समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंच सके इस खबर की आगे की कड़ियां में बिंदुवार खुलासा होगा कि कौन-कौन से अधिकारियों ने और भूमाफियाओं ने किस प्रकार इस पूरे प्रकरण को अंजाम दिया और अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही या भ्रष्टाचार को जगह दी देखते रहिए खोज खबर यदि आपको हमारा चैनल अच्छा लगता है तो लाइक करें सब्सक्राइब करें और शेयर करें नमस्कार
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