कमलनाथ ने बैठक के बाद कहा, "मेरे लिए सरकार होने का अर्थ सत्ता की भूख नहीं, जन सेवा का पवित्र उद्देश्य है. पंद्रह वर्षों तक भाजपा ने सत्ता को सेवा का नहीं भोग का साधन बनाए रखा था वो आज भी अनैतिक तरीक़े से मध्यप्रदेश की सरकार को अस्थिर करना चाहती है."
ज्योतिरादित्य सिंधिया सरकार से नाराज़ हैं और अगला क़दम लेने से पहले किसी भी तरह की बात करने से बच रहे हैं.
मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार के लिये मंगलवार का दिन काफ़ी महत्वूपर्ण होगा. सोमवार की शाम तक राजधानी भोपाल में राजनीतिक सरगर्मिया तेज़ हो गईं और यह बात साफ़ हो गई कि
देर रात कमलनाथ द्वारा बुलाई गई केबिनेट बैठक में 20 मंत्रियों ने अपने इस्तीफ़े सौंप दिये. यह बैठक सरकार पर आए संकट को लेकर बुलाई गई थी. इस्तीफ़े सौंपने वाले सभी मंत्री कमलनाथ के क़रीबी हैं.
इस्तीफ़ा देने वाले मंत्रियों ने मुख्यमंत्री पर अपनी आस्था व्यक्त की और कहा कि वो अपने विवेक से कैबिनेट का विस्तार कर सकते हैं.

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