बैंकॉक । म्‍यांमार में 1 फरवरी 2021 को कमांडर इन चीफ ऑफ‍ डिफेंस सर्विस मींग आंग ह्लेनिंग ने वहां की लोकतांत्रिक सत्‍ता का तख्‍तापलट कर सत्‍ता अपने हाथों में ले ली थी। इसके बाद वहां की लोकतांत्रिक सत्‍ता की प्रमुख आंग सांग सू की समेत सत्‍ताधारी पार्टी के नेताओं समेत पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं को बड़ी संख्‍या में हिरासत में लिया गया है। यह जारी संकट फिलहाल खत्‍म होता नजर नहीं आ रहा है। वहां पर सैन्‍य शासन के आदेश पर की जा रही कार्रवाई मे अब तक 550 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। अंतरराष्‍ट्रीय संगठनों का मानना है कि ये संख्‍या इससे कहीं अधिक हो सकती है। ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक म्‍यांमार में तख्‍तापलट के बाद से अब तक सैकड़ों लोगों का कुछ पता नहीं है। इन लोगों को जुंटा (म्‍यांमार का सैन्‍य शासन) के आदेश के बाद जबरन गायब कराया गया है।

 ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है कि इन लोगों के बारे में जुंटा द्वारा कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। इन लोगों से न तो उनके परिवारवालों को और न ही कानूनी सलाहकारों या वकीलों को मिलने दिया जा रहा है। वहां का सैन्‍य शासन अंतरराष्‍ट्रीय नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहा है।

एचआरडब्‍ल्‍यू के मुताबिक सुरक्षा बलों ने हजारों लोगों को सैन्‍य शासन के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए हिरासत में लिया है। सुरक्षा बल लगातार रात में लोगों के घरों में जबरदस्‍ती घुसकर लोगों को हिरासत में ले रहे हैं। संगठन के मुताबिक ढाई हजार से अधिक लोगों को अब तक इस तरह से हिरासत में लिया जा चुका है।

संगठन के एशिया डायरेक्‍टर ब्रेड एडम्‍स का कहना है कि म्‍यांमार की सैन्‍य सरकार या जुंटा जबरन लोगों को हिरासत में ले रही है और उन्‍हें प्रताडि़त कर रही है। संगठन ने जुंटा से अपील की है कि वो इस तरह की कार्रवाई को बंद करे और हिरासत में लिए गए सभी लोगों को बिना शर्त तुरंत रिहा करे। ह्यूमन राइट्स वॉच ने ऐसे लोगों के परिजनों से बात कही है जिन्‍हें हिरासत में लिया गया है। इसके अलावा संगठन ने चश्‍मदीदों और 16 वकीलों से भी बात की है।

संगठन के मुताबिक 55 वर्षीय म्‍या एये के घर में तख्‍तापलट वाले दिन सुबह करीब साढ़े पांच बजे सेना की वर्दी में कुछ जवान पहुंचे थे। म्‍या म्‍यांमार की लोकतांत्रिक सरकार और सत्‍ताधारी पार्टी नेशनल लीग ऑफ डेमोक्रेसी के सदस्‍य हैं। इन जवानों ने म्‍या को हिरासत में लेने से पहले और बाद में भी कोई अरेस्‍ट वारंट नहीं दिखाया और न ही कोई ऐसा सुबूत दिया जिसके आधार पर उन्‍हें हिरासत में लिया जाए। उन्‍हें जबरन घर से उठा लिया गया जो घर के बाहर लगे एक सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया। इसको बाद में ट्विटर पर पोस्‍ट किया गया।

अगले दिन उनके घर पर सादी वर्दी में पुलिसकर्मी आए लेकिन उन्‍होंने परिजनों को उनके बारे में कोई जानकारी मुहैया नहीं करवाई। अब तक भी उनके बारे में परिवारवालों को कोई पता नहीं चल सका है। इसी तरह से 6 मार्च को एक अंतिम संस्‍कार में शामिल चर्चित एक्टिविस्‍ट नी नी क्‍यो को पुलिस ने जबरन हिरासत में ले लिया था। उनके बारे में भी परिजनों को कोई जानकार नहीं दी गई है कि वो कहां हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक इस तरह के कई मामले अब तक सामने आ चुके हैं।

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