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एयर इंडिया प्लेन क्रैश: जानकारों के मुताबिक़- रिपोर्ट जवाब देने के बजाय कई सवाल पैदा करती है
12 जून को अहमदाबाद से लंदन के गैटविक जा रहा विमान क्रैश हो गया 

पिछले महीने अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे की शुरुआती जाँच रिपोर्ट आ गई है. यह र‍िपोर्ट एयरक्रॉफ़्ट एक्‍सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्‍यूरो या वायुयान दुर्घटना अन्‍वेषण ब्‍यूरो (एएआईबी) ने तैयार की है. इसमें हादसे से जुड़ी कई अहम बातों पर रोशनी डाली गई है.

रिपोर्ट बताती है कि टेकऑफ़ के कुछ ही सेकंड बाद दोनों इंजनों को जाने वाले ईंधन की आपूर्ति बंद हो गई थी. फ़्यूल कट ऑफ़ स्विच 'रन' से 'कट ऑफ़' पोज़िशन में चले गए थे. इसके कुछ ही सेकेंड बाद हवाई जहाज़ दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया.

इस र‍िपोर्ट पर बी बी सी के अनुसार कई अहम पहलुओं पर हवाई जहाज़ से जुड़े मामलों को जानने-समझने वाले कई व‍िशेषज्ञों से बात की. उन्‍होंने र‍िपोर्ट से न‍िकलते संकेतों का व‍िश्लेषण क‍िया और कुछ अहम बातों की ओर ध्‍यान द‍िलाया. इनका मानना है क‍ि र‍िपोर्ट जारी करते समय और पारदर्श‍िता बरतनी चाह‍िए थी. इस र‍िपोर्ट को हादसे से उपजे कई सवालों के जवाब देने चाह‍िए थे.

फ़्यूल कंट्रोल स्‍व‍िच क्‍या हैं और क्‍या करते हैं?
विमान में सवार सिर्फ़ एक यात्री की जान बची थी, जबकि 241 लोगों की जान चली गई थी 

विमान में सवार सिर्फ़ एक यात्री की जान बची थी, जबकि 241 लोगों की जान चली गई थी

र‍िपोर्ट आने के बाद एक शब्‍द बार-बार आ रहा है- 'फ़्यूल कंट्रोल स्‍व‍िच' या 'फ़्यूल कट ऑफ़ स्‍व‍िच'.
बी बी सी के अनुसार हवाई जहाज़ मामलों के व‍िशेषज्ञ संजय लज़ार बताते हैं, "फ़्यूल कंट्रोल स्‍व‍िच विमान के इंजनों में ईंधन की सप्‍लाई को नियंत्रित करते हैं. इनका काम है, क‍िसी हवाई जहाज़ के इंजन में ईंधन की सप्लाई को चालू या बंद करना.'' उनके मुताब‍िक, "कट ऑफ" का मतलब है, इंजन तक ईंधन का पहुँचना बंद हो जाना. इससे इंजन बंद हो जाते हैं."

जब हादसा हुआ तो क्‍या हुआ
हादसे के बाद की हालत साफ़ करते हुए कैप्‍टन शक्‍त‍ि लुंबा कहते हैं, ''जब विमान नीचे गिरा तब स्विच 'रन' की हालत में थे. इंजन चालू हो रहे थे. इंजन चालू होने की प्रक्रिया शुरू हुई थी लेकिन पूरी तरह चालू नहीं हो पाई थी. इसी वजह से हवाई जहाज़ में बिजली की आपूर्ति रुक गई. इसके बाद रैम एयर टर्बाइन (रैट) नीचे आया.''

संजय लज़ार ने बताया, जब हवाई जहाज़ के ब‍िजली के सभी स्रोत फेल हो जाते हैं तो ऐसी आपात हालत में जहाज से यह रैट यानी रैम एयर टरबाइन बाहर न‍िकल आता है.


व‍िशेषज्ञों की राय में अब भी कई सवाल

एविएशन व‍िशेषज्ञ संजय लज़ार की राय है, ''इस र‍िपोर्ट से सवाल ज़्यादा उठते हैं. जवाब कम म‍िलते हैं.''

दूसरी ओर, कैप्टन मोहन रंगनाथन का कहना है, ''जब आप क‍िसी र‍िपोर्ट की शुरुआत अस्‍पष्‍ट और गोलमोल भाषा और आँकड़े से करते हैं तो उसके भरोसेमंद होने पर सवाल उठने लगते हैं."

उनके मुताबि‍क, "उनके पास सीसीटीवी की दो तस्‍वीरें हैं. ये जहाज़ के टेकऑफ़ और 'रैट' न‍िकलते वक़्त की हैं. ये तस्‍वीरें बहुत साफ़ हैं.''

कैप्‍टन मोहन का कहना है, "ये तस्वीरें पहले दिन से ही उनके पास थीं. उस वक़्त टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर 787 विमान के बारे में संदेह जताया जा रहा था. इसकी वजह से परिवारों की मानसिक तकलीफ़ भी बढ़ी.''

उनका कहना है, "अगर उन्होंने शुरू में ही ये तस्वीरें जारी कर दी होतीं, तो लोगों के मन में विमान के बारे में जो भी संदेह थे, वो ख़त्म हो जाते."

जबक‍ि संजय लज़ार पूछते हैं, ''जब तक गहन और पूरी जाँच नहीं हो जाती है, एएआईबी अपनी र‍िपोर्ट में एक लाइन में यह कैसे कह सकती है कि बोइंग या जीई (जनरल इलेक्‍ट्रिक) के बारे में कोई सिफारिश नहीं है.'' उनके मुताब‍िक, ऐसा कहना उन्हें ज़िम्मेदारी से पूरी तरह मुक्त कर देना है.
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IND Vs ENG, 3rd Test Day 
तीसरे दिन का खेल खत्म, भारत की पारी 387 पर सिमटी, इंग्लैंड ने बनाए 2 रन
Eng vs IND, 3rd Test Day 3: भारत-इंग्लैंड के बीच पांच मैचों की टेस्ट सीरीज का तीसरा मुकाबला लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड पर खेला जा रहा है. तीसरे दिन का खेल खत्म हो गया है. भारत की पहली पारी 387 के स्कोर पर सिमट गई. वहीं, इंग्लैंड ने दिल का खेल खत्म होने तक बिना विकेट गंवाए 2 रन बनाए.

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भारत-इंग्लैंड के बीच एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी 2025 का तीसरा मुकाबला लंदन के ऐतिहासिक लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड पर हो रहा है. इस मुकाबले का तीसरा दिन खत्म हो गया है. टीम इंडिया की पहली पारी 387 के स्कोर पर सिमट गई है. बढ़त लेने से भारतीय टीम चूक गई है. इंग्लैंड ने भी पहली पारी में 387 का स्कोर बनाया था. भारत की ओर से ऋषभ पंत ने 74 रन, केएल राहुल ने शतक और जडेजा ने 72 रन बनाए. इसके जवाब में उतरी इंग्लैंड की टीम ने दिन का खेल खत्म होने तक बिना विकेट गंवाए 2 रन बनाए.
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आगरा

एटा के जलेसर की रहने वाली रानू जादौन (23) ने पुलिस कांस्टेबल की ट्रेनिंग के दौरान कन्नौज में खुदकुशी कर ली। 

बच्चों को पढ़ाने के लिए वह गांव से जलेसर आकर रहने लगे थे। उनके दो पुत्री राधा और रानू एवं एक पुत्र है। परिजन ने बताया रानू पढ़ने में तेज थी और यूपीएससी की तैयारी कर रही थी। पुलिस कांस्टेबल में चयन होने पर रानू ट्रेनिंग पर चली गई। वह घर से 17 जून को गई थी।

यूपीएससी, आयकर विभाग और पुलिस में एसआई के लिए भी उसने प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया था। असफल होने पर वह तनाव में थी। कन्नोज की रिजर्व पुलिस लाइन में दोपहर में प्रतिसार निरीक्षक के आवास के सामने बने छह मंजिला छात्रावास की पहली मंजिल पर बॉथरूम में प्रशिक्षु महिला सिपाही रानू जादौन का शव दुपट्टे से बने फंदे में लटकता मिला।

 

सुबह सात बजे वह अन्य सभी महिला आरक्षियों के साथ पुलिस लाइन में प्रशिक्षण व परेड में शामिल होने गई थी। कुछ देर बाद तबीयत खराब होने की बात कहकर वह छात्रावास में कमरे में आ गई। दोपहर में लंच के समय उसकी रूममेट आरक्षी शिवानी जादौन जब कमरे पर पहुंची तो उसका शव टॉवेल हैंगर से लटका देख दंग रह गई। उसने इसकी जानकारी प्रतिसार निरीक्षक सुखवीर सिंह को दी। 

 

सूचना मिलते ही एसपी विनोद कुमार, एएसपी अजय कुमार, सीओ सिटी अभिषेक प्रताप अजेय, तिर्वा सीओ डॉ. प्रियंका वाजपेयी और सदर कोतवाल जितेंद्र प्रताप सिंह मौके पर पहुंचे और शव को फंदे से उतरवा कर एंबुलेंस से जिला अस्पताल भिजवाया। वहां डॉक्टरों ने रानू जादौन को मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने घटना की जानकारी परिजनों को दी और शव को सील कर पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया। परिजन भी इस घटना से स्तब्ध हैं। 

 

एसपी विनोद कुमार का कहना है कि प्रारंभिक जांच में प्रशिक्षु महिला सिपाही द्वारा व्यक्तिगत कारणाें से आत्महत्या करने की बात सामने आई है। कारणों का पता लगाया जा रहा है, इसके लिए उसके मोबाइल व कमरे से मिले कुछ प्रपत्रों की जांच की जा रही है। जल्द ही पूरी घटना का खुलासा किया जाएगा।


युवक नौकरी छोड़ने का बना रहा था दबाव

प्रशिक्षु महिला आरक्षी को एटा का ही एक युवक परेशान कर रहा था और नौकरी छोड़ने का दबाव बना रहा था। इसी से परेशान होकर प्रशिक्षु आरक्षी ने मौत को गले लगा लिया। पुलिस ने आरक्षी के पिता की तहरीर पर युवक के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।

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गुजरात 
क्या आप विश्वास करेंगे कि कोई पूरा का पूरा एक फर्जी टोल  प्लाजा ही बना कर बसूली करने लगे पर ऐसा हो रहा था हमारे ही देश में जहाँ से ऐसा किस्सा सामने आया है जिसे सुनकर आप पहले तो विशवास ही नहीं करेंगे। दरअसल राज्य के मोरबी इलाके के पास 1.5 साल से एक फर्जी टोल बूथ चल रहा था और हैरानी देखिये कि किसी को भी इसकी भनक तक नहीं लगी।

बता दें कि गुजरात में बामनबोर-कच्छ नेशनल हाइवे पर कुछ ताकतवर लोगों ने हाइवे को बायपास कर प्राइवेट जमीन पर एक फर्जी टोल प्लाजा बना दिया। ये लोग एक या दो-चार महीने नहीं बल्कि पूरे 1.5 साल तक सरकार के अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकते रहे।

डेढ़ साल तक लगाया चूना

फर्जी टोल प्लाजा गुजरात के मोरबी में एक नेशनल हाइवे के साइड पर एक निजी भूमि पर स्थापित किया गया था, जो सही टोल प्लाजा से पहले पड़ता था और असली बूथ को बायपास कर देने के बाद आगे जा कर वापस हाइवे से जुड़ जाता था।

फर्जी टोल प्लाजा के लोग अपने बूथ से गुजरने वालों से आधा टोल टैक्स वसूल रहे थे। फर्जी टोल प्लाजा के जरिये न इन्होने न सिर्फ आम लोगों को बल्कि पुलिस और जिले के शीर्ष सरकारी अधिकारियों को भी डेढ़ साल तक चूना लगाया ।

नेशनल हाइवे के अधिकृत टोल वघासिया टोल प्लाजा के प्रबंधक के अनुसार, निजी जमीन के मालिकों ने इस तरह से डेढ़ साल से खुलेआम हर दिन हजारों रुपये की उगाही की।

रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी ट्रैफिक को हाइवे के सही रस्ते से हटाकर व्हाइट हाउस सिरेमिक कंपनी की जमीन पर बनाये अपने टोल प्लाजा की तरफ से जाने के लिए प्रेरित करते थे।

टोल टैक्स पर दे रहे थे डिस्काउंट

रिपोर्ट के मुताबिक, ये लोग इतने शातिर थे कि इन्होंने टोल टैक्स आधा कर रखा था जिससे ट्रक ड्राइवर इस रास्ते से जाने के लिए प्रेरित हो रहे थे। हैरानी की बात है कि ये सब एक वर्ष से भी ज्यादा समय तक चलता रहा लेकिन किसी को भी इस अवैध उगाही पर ध्यान नहीं गया।

आरोपी कार मालिकों से लेकर भारी ट्रक चालकों से 20 रुपये से 200 रुपये तक वसूलते थे, जबकि इन वाहनों के लिए वास्तविक टोल टैक्स 110 रुपये से 595 रुपये था।

पुलिस ने अब इस मामले में व्हाइट हाउस सिरेमिक कंपनी के मालिक अमरशी पटेल, वनराज सिंह झाला, हरविजय सिंह झाला, धर्मेंद्र सिंह झाला, युवराज सिंह झाला और अज्ञात लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कर ली है।
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वेरावल (सोमनाथ), गुजरात। 

एसोसिएशन ऑफ स्मॉल एण्ड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ इण्डिया की राष्ट्रीय परिषद की बैठक माहेश्वरी भवन के निकट स्थित टी. एफ. सी. सभागार में आयोजित की गई। दीप प्रज्वलन के तत्पश्चात गुजरात इकाई अध्यक्ष मयूर बोरीचा एवं सोमनाथ ट्रस्ट के प्रबंधक ने सदस्यों व मंचासीन पदाधिकारी गणों का सम्मान किया। 

बैठक में गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड आदि राज्यों की इकाइयों के अध्यक्ष व पदाधिकारी शामिल हुए और अपने अपने राज्यों से प्रकाशित होने वाले समाचारपत्र / पत्रिकाओं के समक्ष आने वाली समस्याओं से अवगत कराने के साथ उनके निराकरण करवाने की मांग रखी। 

बैठक में सी. बी. सी. ,  आर. एन. आई. की कार्यशैली की आलोचना करते हुए कहा गया कि इनके द्वारा आये दिन ऐसे नियम थोपे जा रहे हैं जिसके कारण लघु एवं मझोले वर्ग का विकास दर प्रभावित हो रही है और प्रकाशक परेशान हो रहे हैं। कुछ राज्यों में सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग की कार्यशैली की आलोचना की गई और बताया गया कि स्थानीय स्तर पर परेशान किया जा रहा जा है।
अनेक राज्यों से शामिल हुए सदस्यों द्वारा दी गई जानकारी के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव दत्त चंदोला ने कहा कि एसोसिएशन की इकाइयां अपने अपने राज्यों की समस्याओं को लिखित रूप से भेजें जिससे कि उन्हें सम्बन्धित विभाग अथवा मंत्रालय को भेज कर उनका निराकरण करवाने का प्रयास किया जा सके। इस दौरान श्री चंदोला ने कहा कि सरकारी मशीनरी जिस तरह से छोटे व मझोले वर्ग के अखबारों को परेशान कर रही है वह बहुत ही निंदनीय है और उसे कतई स्वीकार्य नहीं है। यह भी कहा कि सभी राज्य नियमित बैठक करें और अखबारों की समस्याओं को भेजें।

बैठक को राष्ट्रीय महासचिव शंकर कतीरा, राष्ट्रीय सचिव ड्रॉ0 अनन्त शर्मा व प्रवीण पाटिल, उप्र राज्य इकाई के अध्यक्ष व भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य श्याम सिंह पंवार, गुलाब सिंह भाटी, दीपक भाई ठक्कर ने सम्बोधित कर अखबारों की समस्याओं को उठाया। गुजरात के मुख्यमंत्री  भूपेंद्र भाई पटेल व्यस्तता के चलते बैठक में शामिल नहीं हो पाये, अतएव उन्होंने पत्र भेजकर बैठक के सफल आयोजन की शुभकामनाएं पत्र के माध्यम से प्रेषित कीं।

बैठक में गुजरात, उप्र, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, कर्नाटक, उत्तराखंड, राजस्थान से प्रकाशित होने वाले अनेक समाचारपत्रों के प्रकाशक गण मौजूद रहे।
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इंफाल: मणिपुर के उखरुल जिले में सामने आई इतिहास की सबसे बड़ी बैंक डकैती। इसमें नकाबापोशों ने बैंक से 18 करोड़ रुपये लूट लिए। यहां पर नकाब से ढके चेहरे वाले सशस्त्र डकैतों ने पंजाब नेशनल बैंक की एक शाखा से 18.80 करोड़ रुपये नकद लूट लिए। शुरुआती जानकारी में सामने आया है कि इस लूट में 8 से 18 नकाबपोश बदमाश शामिल थे। 10 मिनट में उन्होंने इस पूरी बैंक डकैती की घटना को अंजाम दिया।
बैंक कर्मियों को बंधक बनाकर लूट
अधिकारियों के अनुसार पंजाब नेशनल बैंक की यह शाखा उखरुल जिले के लिए करेंसी चेस्ट है। यहां पर भारतीय रिज़र्व बैंक बैंकों और एटीएम के लिए नकदी का स्टॉक करता है। 29 नवंबर की शाम राज्य की राजधानी इंफाल से लगभग 80 किमी दूर उखरूल शहर में अत्याधुनिक हथियारों से लैस लुटेरे बैंक पहुंचे, उन्होंने सुरक्षाकर्मियों को अपने कब्जे में ले लिया और कर्मचारियों को धमकाने के बाद तिजोरी से रकम लूट ली। मणिपुर पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर ट्वीट करके लिखा है कि बदमाशों की धरपकड़ की कोशिश की जा रही है।
पौने छह बजे हुई लूट
नकाबपोश बदमाशों ने उखरुल जिले की जिस बैंक को निशाना बनाया। वह शहर के बीच में स्थित है। बैंक लूट की यह घटना शाम 5.40 मिनट पर हुई। बैंक में 8 से 10 नकाबपोश ने प्रवेश किया। वे सभी हथियार लिए हुए थे। उन्होंने प्रवेश करते बैंक स्टॉफ को बाथरूम में बंद कर दिया। इसके बाद गन प्वाइंट पर 18.80 करोड़ रुपये की रकम को लूटकर भाग निकले। पुलिस ने इस बड़ी वारदात को सुलझाने के लिए पूरे इलाकों में पुलिस को अलर्ट किया है। पुलिस की टीमें बड़े स्तर पर बदमाशों का सुराग लगाने में जुटी हैं। इसके लिए सीसीटीवी फुटेज भी खंगाली जा रही है। (इनपुट: पीटीआई) साभार NBT
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Digital Arrest
 हरियाणा के फरीदाबाद से सामने आया है यह मामला यहां पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई के लिए विदेश जाने की तैयारी कर रही लड़की को साइबर ठगों ने अपना शिकार बनाया। इस दौरान उसे लगातार 17 दिन तक उसके ही घर में डिजिटली अरेस्ट करके रखा गया।
सोचिये कितने शातिर हैं यह ठग कि इस दौरान उसी घर में रह रहे परिजनों को भी यह लड़की कुछ भी नहीं बता पाई। उन्हें लगा कि लड़की लैपटॉप पर कुछ जरूरी काम कर रही है। जबकि स्थिति बिल्कुल इसके विपरीत थी। लड़की को डिजिटली अरेस्ट किया गया था। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर डिजिटली अरेस्ट क्या है और इसमें किसी को पता क्यों नहीं चलता तो चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर इसमें साइबर अपराधी आपको कैसे मजबूर करते हैं?
पहले डराया फिर समझाया और शुरू हो गया साइबर ठगी का खेल

डिजिटली अरेस्ट की पूरी कहानी जानने के लिए आपको फरीदाबाद की घटना भी जाननी चाहिए। दरअसल, फरीदाबाद निवासी छात्रा अनन्या मंगला ने साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। इसमें अनन्या ने बताया कि 12 अक्टूबर को उसके पास एक कॉल आई। फोन रिसीव करते ही कॉलर ने खुद को लखनऊ कस्टम विभाग का ऑफिसर बताया। यहीं से छात्रा को ठगी के जाल में फंसाने का सिलसिला शुरू हुआ। छात्रा को दबाव में लेने के लिए खुद को कस्टम अधिकारी बताने वाले साइबर ठग ने कहा कि कंबोडिया जा रहे पार्सल में छात्रा का आधार नंबर लिंक है। इस पार्सल में कई फर्जी पासपोर्ट और अन्य कार्ड हैं।

अगर यह पार्सल आपका नहीं है तो आप आज ही इसकी एफआईआर दर्ज कराएं। वरना लखनऊ कोर्ट में पेश होना पड़ेगा। बाद में छात्रा को स्काइप के जरिए वीडियो कॉल पर आने के लिए कहा गया। वीडियो कॉल पर उसे थाना, पुलिस अधिकारी और कर्मचारी दिखाए गए। इतना ही नहीं, उसे फर्जी सीबीआई अधिकारी और कस्टम अधिकारी से भी मिलवाया गया। ये था साइबर ठगी के जाल में फंसाने का तरीका। अब यहां से शुरू होती है ठगी की कहानी...
भरोसे में लेकर सेटलमेंट के नाम शुरू होता है ठगी का खेल
साइबर एक्सपर्ट नवीन कुमार की मानें तो ये सब दिखाकर साइबर ठगों ने छात्रा को भरोसे में लिया। इसके बाद उन्होंने छात्रा के संबंध मानव तस्करी, बैंक अधिकारी से जोड़कर उसे डरा दिया। इस बीच सीबीआई अफसर बने अधिकारी ने बताया कि इन सब मुकदमों से बचाने के लिए आपको 15 लाख रुपये देने पड़ेंगे। छात्रा ने बताया कि उसके पास इतने पैसे नहीं हैं। इसपर साइबर ठगों ने नई चाल चली और छात्रा को कुछ समय देते हुए स्काइप के आसपास ही रहने को कहा। इस दौरान चेतावनी भी दी कि अगर वह स्काइप से इधर-उधर होती है तो उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाएगा। 
उन्होंने यह भी कहा आप अपने घर परिवार और रिश्तेदारों, दोस्तों से पैसे लेकर उन्हें 15 लाख रुपये दे दीजिए। इसके बाद आपको किसी केस में फंसने नहीं देंगे। छात्रा 17 दिन तक अपने ही घर के एक कमरे में कैद रही। इसके बाद उसने अपनी पढ़ाई के लिए अकाउंट में जमा ढाई लाख रुपये आरोपियों के अकाउंट में ट्रांसफर किए और 17 दिन बाद बंधनमुक्त हो गई। बाद में उसने लोगों को बताया तो पता चला कि वह साइबर ठगी का शिकार हुई है।

अब जानते हैं क्या होता है डिजिटली अरेस्ट?
साइबर एक्सपर्ट नवीन कुमार की मानें तो डिजिटल अरेस्ट में आरोपी पर मोबाइल या फिर लैपटॉप में स्‍काइप पर वीडियो कॉलिंग या अन्य एप के जरिए नजर रखी जाती है। उसे नियमों के तहत वीडियो कॉलिंग से दूर नहीं होने दिया जाता है। यानी वीडियो कॉल के जरिए एक तरह से आरोपी को उसके घर में कैद कर दिया जाता है। इस दौरान न तो वह किसी से बात कर सकता है और न किसी के पास ज्यादा देर खड़ा हो सकता है। उसे वीडियो कॉलिंग के दौरान हर समय अपनी आवाज सुनाने के लिए मजबूर किया जाता है।
इसके अलावा अगर मोबाइल एप के जरिए निगरानी रखी जा रही है तो एप पर लगातार चैटिंग और ऑडियो -वीडियो कॉल कर उसपर नजर रखी जाती है। ऐसे में आरोपी न तो किसी से मदद मांग सकता है और न किसी को अपनी कहानी बता पाता है। बस उसे जो निर्देश मिलते हैं, उसी के हिसाब से काम करना पड़ता है। इस तरह का खेल किसी के साथ भी हो सकता है। ऐसे में अपने सबसे करीबी थाने में इसकी सूचना देकर मामले की तहकीकात करनी चाहिए।