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गुजरात 
क्या आप विश्वास करेंगे कि कोई पूरा का पूरा एक फर्जी टोल  प्लाजा ही बना कर बसूली करने लगे पर ऐसा हो रहा था हमारे ही देश में जहाँ से ऐसा किस्सा सामने आया है जिसे सुनकर आप पहले तो विशवास ही नहीं करेंगे। दरअसल राज्य के मोरबी इलाके के पास 1.5 साल से एक फर्जी टोल बूथ चल रहा था और हैरानी देखिये कि किसी को भी इसकी भनक तक नहीं लगी।

बता दें कि गुजरात में बामनबोर-कच्छ नेशनल हाइवे पर कुछ ताकतवर लोगों ने हाइवे को बायपास कर प्राइवेट जमीन पर एक फर्जी टोल प्लाजा बना दिया। ये लोग एक या दो-चार महीने नहीं बल्कि पूरे 1.5 साल तक सरकार के अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकते रहे।

डेढ़ साल तक लगाया चूना

फर्जी टोल प्लाजा गुजरात के मोरबी में एक नेशनल हाइवे के साइड पर एक निजी भूमि पर स्थापित किया गया था, जो सही टोल प्लाजा से पहले पड़ता था और असली बूथ को बायपास कर देने के बाद आगे जा कर वापस हाइवे से जुड़ जाता था।

फर्जी टोल प्लाजा के लोग अपने बूथ से गुजरने वालों से आधा टोल टैक्स वसूल रहे थे। फर्जी टोल प्लाजा के जरिये न इन्होने न सिर्फ आम लोगों को बल्कि पुलिस और जिले के शीर्ष सरकारी अधिकारियों को भी डेढ़ साल तक चूना लगाया ।

नेशनल हाइवे के अधिकृत टोल वघासिया टोल प्लाजा के प्रबंधक के अनुसार, निजी जमीन के मालिकों ने इस तरह से डेढ़ साल से खुलेआम हर दिन हजारों रुपये की उगाही की।

रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी ट्रैफिक को हाइवे के सही रस्ते से हटाकर व्हाइट हाउस सिरेमिक कंपनी की जमीन पर बनाये अपने टोल प्लाजा की तरफ से जाने के लिए प्रेरित करते थे।

टोल टैक्स पर दे रहे थे डिस्काउंट

रिपोर्ट के मुताबिक, ये लोग इतने शातिर थे कि इन्होंने टोल टैक्स आधा कर रखा था जिससे ट्रक ड्राइवर इस रास्ते से जाने के लिए प्रेरित हो रहे थे। हैरानी की बात है कि ये सब एक वर्ष से भी ज्यादा समय तक चलता रहा लेकिन किसी को भी इस अवैध उगाही पर ध्यान नहीं गया।

आरोपी कार मालिकों से लेकर भारी ट्रक चालकों से 20 रुपये से 200 रुपये तक वसूलते थे, जबकि इन वाहनों के लिए वास्तविक टोल टैक्स 110 रुपये से 595 रुपये था।

पुलिस ने अब इस मामले में व्हाइट हाउस सिरेमिक कंपनी के मालिक अमरशी पटेल, वनराज सिंह झाला, हरविजय सिंह झाला, धर्मेंद्र सिंह झाला, युवराज सिंह झाला और अज्ञात लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कर ली है।
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वेरावल (सोमनाथ), गुजरात। 

एसोसिएशन ऑफ स्मॉल एण्ड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ इण्डिया की राष्ट्रीय परिषद की बैठक माहेश्वरी भवन के निकट स्थित टी. एफ. सी. सभागार में आयोजित की गई। दीप प्रज्वलन के तत्पश्चात गुजरात इकाई अध्यक्ष मयूर बोरीचा एवं सोमनाथ ट्रस्ट के प्रबंधक ने सदस्यों व मंचासीन पदाधिकारी गणों का सम्मान किया। 

बैठक में गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड आदि राज्यों की इकाइयों के अध्यक्ष व पदाधिकारी शामिल हुए और अपने अपने राज्यों से प्रकाशित होने वाले समाचारपत्र / पत्रिकाओं के समक्ष आने वाली समस्याओं से अवगत कराने के साथ उनके निराकरण करवाने की मांग रखी। 

बैठक में सी. बी. सी. ,  आर. एन. आई. की कार्यशैली की आलोचना करते हुए कहा गया कि इनके द्वारा आये दिन ऐसे नियम थोपे जा रहे हैं जिसके कारण लघु एवं मझोले वर्ग का विकास दर प्रभावित हो रही है और प्रकाशक परेशान हो रहे हैं। कुछ राज्यों में सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग की कार्यशैली की आलोचना की गई और बताया गया कि स्थानीय स्तर पर परेशान किया जा रहा जा है।
अनेक राज्यों से शामिल हुए सदस्यों द्वारा दी गई जानकारी के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव दत्त चंदोला ने कहा कि एसोसिएशन की इकाइयां अपने अपने राज्यों की समस्याओं को लिखित रूप से भेजें जिससे कि उन्हें सम्बन्धित विभाग अथवा मंत्रालय को भेज कर उनका निराकरण करवाने का प्रयास किया जा सके। इस दौरान श्री चंदोला ने कहा कि सरकारी मशीनरी जिस तरह से छोटे व मझोले वर्ग के अखबारों को परेशान कर रही है वह बहुत ही निंदनीय है और उसे कतई स्वीकार्य नहीं है। यह भी कहा कि सभी राज्य नियमित बैठक करें और अखबारों की समस्याओं को भेजें।

बैठक को राष्ट्रीय महासचिव शंकर कतीरा, राष्ट्रीय सचिव ड्रॉ0 अनन्त शर्मा व प्रवीण पाटिल, उप्र राज्य इकाई के अध्यक्ष व भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य श्याम सिंह पंवार, गुलाब सिंह भाटी, दीपक भाई ठक्कर ने सम्बोधित कर अखबारों की समस्याओं को उठाया। गुजरात के मुख्यमंत्री  भूपेंद्र भाई पटेल व्यस्तता के चलते बैठक में शामिल नहीं हो पाये, अतएव उन्होंने पत्र भेजकर बैठक के सफल आयोजन की शुभकामनाएं पत्र के माध्यम से प्रेषित कीं।

बैठक में गुजरात, उप्र, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, कर्नाटक, उत्तराखंड, राजस्थान से प्रकाशित होने वाले अनेक समाचारपत्रों के प्रकाशक गण मौजूद रहे।
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इंफाल: मणिपुर के उखरुल जिले में सामने आई इतिहास की सबसे बड़ी बैंक डकैती। इसमें नकाबापोशों ने बैंक से 18 करोड़ रुपये लूट लिए। यहां पर नकाब से ढके चेहरे वाले सशस्त्र डकैतों ने पंजाब नेशनल बैंक की एक शाखा से 18.80 करोड़ रुपये नकद लूट लिए। शुरुआती जानकारी में सामने आया है कि इस लूट में 8 से 18 नकाबपोश बदमाश शामिल थे। 10 मिनट में उन्होंने इस पूरी बैंक डकैती की घटना को अंजाम दिया।
बैंक कर्मियों को बंधक बनाकर लूट
अधिकारियों के अनुसार पंजाब नेशनल बैंक की यह शाखा उखरुल जिले के लिए करेंसी चेस्ट है। यहां पर भारतीय रिज़र्व बैंक बैंकों और एटीएम के लिए नकदी का स्टॉक करता है। 29 नवंबर की शाम राज्य की राजधानी इंफाल से लगभग 80 किमी दूर उखरूल शहर में अत्याधुनिक हथियारों से लैस लुटेरे बैंक पहुंचे, उन्होंने सुरक्षाकर्मियों को अपने कब्जे में ले लिया और कर्मचारियों को धमकाने के बाद तिजोरी से रकम लूट ली। मणिपुर पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर ट्वीट करके लिखा है कि बदमाशों की धरपकड़ की कोशिश की जा रही है।
पौने छह बजे हुई लूट
नकाबपोश बदमाशों ने उखरुल जिले की जिस बैंक को निशाना बनाया। वह शहर के बीच में स्थित है। बैंक लूट की यह घटना शाम 5.40 मिनट पर हुई। बैंक में 8 से 10 नकाबपोश ने प्रवेश किया। वे सभी हथियार लिए हुए थे। उन्होंने प्रवेश करते बैंक स्टॉफ को बाथरूम में बंद कर दिया। इसके बाद गन प्वाइंट पर 18.80 करोड़ रुपये की रकम को लूटकर भाग निकले। पुलिस ने इस बड़ी वारदात को सुलझाने के लिए पूरे इलाकों में पुलिस को अलर्ट किया है। पुलिस की टीमें बड़े स्तर पर बदमाशों का सुराग लगाने में जुटी हैं। इसके लिए सीसीटीवी फुटेज भी खंगाली जा रही है। (इनपुट: पीटीआई) साभार NBT
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Digital Arrest
 हरियाणा के फरीदाबाद से सामने आया है यह मामला यहां पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई के लिए विदेश जाने की तैयारी कर रही लड़की को साइबर ठगों ने अपना शिकार बनाया। इस दौरान उसे लगातार 17 दिन तक उसके ही घर में डिजिटली अरेस्ट करके रखा गया।
सोचिये कितने शातिर हैं यह ठग कि इस दौरान उसी घर में रह रहे परिजनों को भी यह लड़की कुछ भी नहीं बता पाई। उन्हें लगा कि लड़की लैपटॉप पर कुछ जरूरी काम कर रही है। जबकि स्थिति बिल्कुल इसके विपरीत थी। लड़की को डिजिटली अरेस्ट किया गया था। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर डिजिटली अरेस्ट क्या है और इसमें किसी को पता क्यों नहीं चलता तो चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर इसमें साइबर अपराधी आपको कैसे मजबूर करते हैं?
पहले डराया फिर समझाया और शुरू हो गया साइबर ठगी का खेल

डिजिटली अरेस्ट की पूरी कहानी जानने के लिए आपको फरीदाबाद की घटना भी जाननी चाहिए। दरअसल, फरीदाबाद निवासी छात्रा अनन्या मंगला ने साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। इसमें अनन्या ने बताया कि 12 अक्टूबर को उसके पास एक कॉल आई। फोन रिसीव करते ही कॉलर ने खुद को लखनऊ कस्टम विभाग का ऑफिसर बताया। यहीं से छात्रा को ठगी के जाल में फंसाने का सिलसिला शुरू हुआ। छात्रा को दबाव में लेने के लिए खुद को कस्टम अधिकारी बताने वाले साइबर ठग ने कहा कि कंबोडिया जा रहे पार्सल में छात्रा का आधार नंबर लिंक है। इस पार्सल में कई फर्जी पासपोर्ट और अन्य कार्ड हैं।

अगर यह पार्सल आपका नहीं है तो आप आज ही इसकी एफआईआर दर्ज कराएं। वरना लखनऊ कोर्ट में पेश होना पड़ेगा। बाद में छात्रा को स्काइप के जरिए वीडियो कॉल पर आने के लिए कहा गया। वीडियो कॉल पर उसे थाना, पुलिस अधिकारी और कर्मचारी दिखाए गए। इतना ही नहीं, उसे फर्जी सीबीआई अधिकारी और कस्टम अधिकारी से भी मिलवाया गया। ये था साइबर ठगी के जाल में फंसाने का तरीका। अब यहां से शुरू होती है ठगी की कहानी...
भरोसे में लेकर सेटलमेंट के नाम शुरू होता है ठगी का खेल
साइबर एक्सपर्ट नवीन कुमार की मानें तो ये सब दिखाकर साइबर ठगों ने छात्रा को भरोसे में लिया। इसके बाद उन्होंने छात्रा के संबंध मानव तस्करी, बैंक अधिकारी से जोड़कर उसे डरा दिया। इस बीच सीबीआई अफसर बने अधिकारी ने बताया कि इन सब मुकदमों से बचाने के लिए आपको 15 लाख रुपये देने पड़ेंगे। छात्रा ने बताया कि उसके पास इतने पैसे नहीं हैं। इसपर साइबर ठगों ने नई चाल चली और छात्रा को कुछ समय देते हुए स्काइप के आसपास ही रहने को कहा। इस दौरान चेतावनी भी दी कि अगर वह स्काइप से इधर-उधर होती है तो उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाएगा। 
उन्होंने यह भी कहा आप अपने घर परिवार और रिश्तेदारों, दोस्तों से पैसे लेकर उन्हें 15 लाख रुपये दे दीजिए। इसके बाद आपको किसी केस में फंसने नहीं देंगे। छात्रा 17 दिन तक अपने ही घर के एक कमरे में कैद रही। इसके बाद उसने अपनी पढ़ाई के लिए अकाउंट में जमा ढाई लाख रुपये आरोपियों के अकाउंट में ट्रांसफर किए और 17 दिन बाद बंधनमुक्त हो गई। बाद में उसने लोगों को बताया तो पता चला कि वह साइबर ठगी का शिकार हुई है।

अब जानते हैं क्या होता है डिजिटली अरेस्ट?
साइबर एक्सपर्ट नवीन कुमार की मानें तो डिजिटल अरेस्ट में आरोपी पर मोबाइल या फिर लैपटॉप में स्‍काइप पर वीडियो कॉलिंग या अन्य एप के जरिए नजर रखी जाती है। उसे नियमों के तहत वीडियो कॉलिंग से दूर नहीं होने दिया जाता है। यानी वीडियो कॉल के जरिए एक तरह से आरोपी को उसके घर में कैद कर दिया जाता है। इस दौरान न तो वह किसी से बात कर सकता है और न किसी के पास ज्यादा देर खड़ा हो सकता है। उसे वीडियो कॉलिंग के दौरान हर समय अपनी आवाज सुनाने के लिए मजबूर किया जाता है।
इसके अलावा अगर मोबाइल एप के जरिए निगरानी रखी जा रही है तो एप पर लगातार चैटिंग और ऑडियो -वीडियो कॉल कर उसपर नजर रखी जाती है। ऐसे में आरोपी न तो किसी से मदद मांग सकता है और न किसी को अपनी कहानी बता पाता है। बस उसे जो निर्देश मिलते हैं, उसी के हिसाब से काम करना पड़ता है। इस तरह का खेल किसी के साथ भी हो सकता है। ऐसे में अपने सबसे करीबी थाने में इसकी सूचना देकर मामले की तहकीकात करनी चाहिए।
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बी0एम0 फूड्स के एम0डी0 मुदित मिश्रा ने अपनी फैक्ट्री के सेल्स मैनेजर पर थाना औंग में दर्ज कराई गंभीर धाराओं में फर्जी FIR 
भरत लाल 
  
 जिस FIR में 6 लाख रुपए फैक्ट्री से और साढ़े तीन लाख व्यापारी से वसूलने के बाद ड्राइवर को नशीला पदार्थ पिला साढ़े नौ लाख रुपए का गवन करने का गंभीर आरोप सेल्स मैनेजर भरत लाल शर्मा पर लगाया है। 
मुदित मिश्रा 
मामला दर्ज होने के पूर्व और बाद में भी ड्राइवर ने भरत लाल शर्मा को फोन कर फैक्ट्री के एमडी द्वारा रचे जा रहे षड्यंत्र और अपने डर व दबाव में मालिक का साथ देने की मजबूरी दोनों को किया उजागर जिसकी पीड़ित के पास मौजूद हैं फोन रिकार्डिंग 

यह जानकारी होने पर पीड़ित ने कयी बार IGRS व रजिस्ट्री के माध्यम से मुख्यमंत्री से लेकर अन्य उच्च अधिकारीयों तक अपनी बात पहुंचाने का लगातार प्रयास करा। 

फतेहपुर जनपद के थाना औंग अंतर्गत रानीपुर स्थित बी0एम0 फूड्स फैक्ट्री के मालिक मुदित मिश्रा का एक हैरज अंगेज मामला प्रकाश में आया है आपको बताते चलें कि फूड्स फैक्ट्री में काफी समय से मथुरा के रहने वाले उम्र दराज भरत लाल शर्मा जिनके के अनुसार वह मुख्य सेल्स मैनेजर के पद पर कार्यरत थे और पूरी ईमानदारी से फैक्ट्री के मार्केटिंग के कार्यों की जिम्मेदारी बखूबी निभाते अपने दायित्वों का निर्वाहन कर रहे थे तभी कुछ दिनों से अचानक उनके सिर में उग आए कयी फोड़ों की वजह से भीषण दर्द रहने लगा  इस कारण उन्होंने फैक्ट्री के मालिक मुदित मिश्रा से छुट्टी की माँग की तो मुदित ने ये कहते हुए मना कर दिया कि दवाई ले लो और चुपचाप काम देखो अभी छुट्टी नहीं मिलेगी और मुदित मिश्रा ने भरत लाल शर्मा को मार्केटिंग के कार्य से ड्राइवर रवि के साथ गाड़ी से भेजा और स्वयं भी अपनी दूसरी गाड़ी से वहां पर पहुच गया जहाँ भरत लाल शर्मा ने सिर में भीषण दर्द होने पर फिर अवकाश की माँग की जगह पर मुदित ने होटल में ही शर्मा से बदसलूकी कर छुट्टी देने से इनकार कर दिया साथ ही कहा अगर घर चले गए तो पुलिस भेज कर घर से उठवा लूँगा । 

लेकिन भरत लाल की असहनीय पीड़ा के आगे फैक्टरी मालिक मुदित का डर कमजोर पड़ गया और भरत लाल ने बसूली हुयी राशि की ड्राइवर रवि से रिसीविग ले कर सुपुर्द कर गाड़ी सहित वापस कर दिया और प्राइवेट साधन से अपने घर मथुरा पहुंच गए, यह बात जैसे ही ड्राइवर ने फैक्ट्री मालिक को फोन पर बतायी तो वह आग बबूला हो गए और भरत लाल को कई बार फोन कर कहा तुम चुपचाप यहां चले आओ नहीं तो ठीक नहीं होगा जब पीड़ित ने कहा कि मेरे सर पर फोड़ा है और डाक्टर ने ऑपरेशन के लिए कहा है और मैं अस्पताल में हूँ मेरा ऑपरेशन होने जा रहा हैं। 

उसके बाद फैक्ट्री मालिक ने अपने वर्चस्व और दबंगंई को कायम रखने के लिए एक वेबस और मजबूर पर धन बल का स्तेमाल करते हुये थाना औंग में 5 जून 2023 को आईपीसी की 408, 420, 328 एवं धारा 34 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करा दिया और औंग पुलिस की सदिग्ध भूमिका के चलते बिना किसी साक्ष्य के मामला दर्ज कर कार्यवाही शुरू कर दी।

जबकि पीड़ित भरत लाल शर्मा के पास कई ऐसे साक्ष्य मौजूद है जिससे यह प्रतीत होता है कि उस पर की गई कार्यवाही पूर्णतया एक सोची समझी साजिश और एक दौलतमंद के झूठे अहंकार का परिणाम है।

लेकिन धन लोलुप और मुदित के दबाव में औंग पुलिस पीड़ित को आरोपी बना चुकी है और उसकी कोई फरियाद सुनना ही नही चाहती जबकि उसके पास मौजूद फैक्ट्री मालिक से फोन पर हुई बातचीत और फैक्ट्री के ड्राइवर जिसे नशीला पदार्थ पिलाने का आरोप लगाया गया उससे हुई बातचीत की रिकार्डिंग और ड्राइवर के पिता और भरत लाल शर्मा की फोन पर हुई बातचीत की रिकार्डिंग को औंग थाना पुलिस गौर से सुन ले तो दूध का दूध और पानी का पानी अपने आप हो जाए।
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*बड़ी कार्रवाई करते हुए कानपुर आयकर विभाग की बेनामी संपत्ति यूनिट ने दलितों की 11 प्रॉपर्टीज को कुर्क किया है ।

* सूत्रों के अनुसार कल्याणपुर के रहने वाले अधिवक्ता अभिषेक शुक्ला ने जमीन खरीदने के लिए अपने दो दलित करीबियों का इस्तेमाल किया और बिठूर में रहने वाले मृतक दलित घसीटाराम की कई बीघा जमीन को उनके पोते मनीष से मिलीभगत कर खरीद लिया.

*गोलमाल करके 10 प्रॉपर्टीज अधिवक्ता अभिषेक शुक्ला ने मनीष सिंह की मदद से खरीद डालीं.

*इन सभी बेनामी संपत्तियों को कुर्क कराने के लिए इन सभी जमीनों के पास टीम ने जाकर अपने बोर्ड लगाए और मुनादी के साथ संपत्तियों को कुर्क किया. इस पूरे खेल में अधिवक्ता अभिषेक शुक्ला के साथ ही मृतक किसान घसीटाराम का पोता मनीष, करण एवं एकलव्य (जिनके नाम पर जमीन खरीदी गई) जांच के दायरे में आए हैं.
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अगर भारत में कोई सुभाष पटेल गांधी नेहरू मौलाना आजाद को रावण की संज्ञा दे कर उन की हत्या करना चाहता हो तब आप उसे कितना देशभक्त मानेंगे और वह भी तब जब अंग्रेजों की गुलामी के दौर हो आज इस पर भी करेंगे चर्चा सबसे पहले बात कर लेते हैं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की जिन को रावण के रूप में भाजपा ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से प्रसारित करा है। बल्कि आप इस ट्वीट को ट्वीट न कह कर x कहें क्योंकि अब यह x हो चुका है क्या लिखा है देखते हैं 


The new age Ratan is here. He is Evil. Anti Dharma. Anti  Ram. His aim is to destroy Bharat. 

मतलब तो आप लोग समझ ही गए होंगे फिर भी एक बार स्पष्ट कर देता हूँ  नए दौर का रावण यहां पर है वह बुरा, अधार्मिक या धर्म विरुद्ध और राम का विरोधी है । इसका उद्देश्य भारत को नष्ट करना है आखिर भारतीय जनता पार्टी को इस प्रकार का ट्वीट क्यों करना पड़ा बात करेंगे इस वीडियो मे


अब आते हैं असली मुद्दे पर भाजपा जैसे विश्व के सबसे बड़े संगठन और पार्टी को अपने मुख्य विपक्षी दल के पूर्व अध्यक्ष को रावण की तरह क्यों पेश करना पड़ रहा है क्या भाजपा ने राहुल को रावण की तरह एक विद्वान ब्राह्मण मान लिया है जैसा कि राहुल भी स्वयं को ब्राह्मण बताते नजर आते हैं और भाजपा लगातार उनकी वंशावली में उनके बाबा और मां का नाम लेकर हमलावर बनी रहती है ।


और तो और अब उस पप्पू वाली उस इमेज का क्या होगा जिसे भाजपा ने न जाने कितना खर्च कर बनाया था कोई भी धार्मिक जानकार तो इस तथ्य को स्वीकार कर ही नहीं सकता कि ब्राह्मण रावण महान विद्वान नहीं था और अगर राहुल आज के ब्राह्मण रावण है तो यह गुण भी उनके अंदर जरूर आया होगा दूसरा बिंदु रावण धर्म विरुद्ध था ऐसा तो कहीं भी पढ़ने लिखने में नहीं आता अगर वह धर्म विरुद्ध होता तो शिव तांडव स्त्रोत जैसी रचना कैसे रचता शिव उपासना कर तमाम शक्तियों को कैसे अर्जित करता तो भाजपा का यह कहना की रावण धर्म विरुद्ध था ज्यादातर लोगों के गले नहीं उतरेगा


पूरी रामायण में रावण राम के विरुद्ध था ऐसा तो कहीं भी नहीं लिखा है यदि लिखा है तो कमेंट कर जरूर बताइएगा रामायण में एक प्रसंग तो ऐसा भी आता है जब रावण ने स्वयं जाकर राम के लिए शिवलिंग की स्थापना कर पूजा अर्चना की तो अधार्मिक होने की तो बात सरासर गलत ही साबित हो रही है। 


हमें और आपको यह समझना होगा आखिर भाजपा इस पोस्ट से क्या साबित कर क्या कहने और करने की उसकी मंशा है भाजपा की जड़ जनसंघ ,हिंदू महासभा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी बीते समय में वे जिन लोगों को भी जड़ से खत्म करना चाहते थे या जिन से उन्हें बहुत डर लगता था उनको रावण के रूप में प्रदर्शित करा था इसका उदाहरण भी पूर्व में मिलता है।


समझने की कोशिश करिए जब हमारे देश का प्रत्येक नागरिक पूरी ताकत और हैसियत से देश को गुलाम बनाने वाले अंग्रेजों के विरुद्ध आजादी की लड़ाई लड़ रहा था उसी दौर 1945 में भी नारायण आप्टे द्वारा प्रकाशित और गोडसे द्वारा संपादित पत्रिका अग्रणी में उस समय के महान देशभक्त और देश के लिए सब कुछ कुर्बान कर देने वाले देश के लिए अंग्रेजों से बार-बार लिखित माफी मांग कर आजीवन अंग्रेजी राज्य के हित में कार्य करने की कसम खाने वाले महान वीर वीर सावरकर और भाजपा के आज भी प्रातः स्मरणीय आराध्य श्यामा प्रसाद मुखर्जी को राम और लक्ष्मण के भूमिका में दिखाते हुए एक रावण का कार्टून प्रकाशित किया था ।


अब आप यह तो समझ ही गए होंगे की चित्र में प्रकाशित हमारे दोनों राम और लक्ष्मण के सामने रावण के रूप में पूरी अंग्रेज सरकार, महारानी और बटवारा चाहने वाले जिन्ना ही होंगे जिससे वह बुराई का नाश कर देश को आजाद कर सकेंगे बस आपसे यही गलती हो गई व्हाट्सएप वाले इस सिलेबस ने आपको इस छोटे से प्रश्न में फेल कर दिया इन दोनों प्रकाशित महावीरों के लिए तब कोई भी अंग्रेज सरकार या इंग्लैंड की महारानी या जिन्ना रावण नहीं थे आप सुधार कर लीजिए अपने ज्ञान में और शुद्ध इतिहास की जानकारी में इस विचारधारा को समझ लीजिए कि जब पूरा देश अंग्रेजों से लड़ रहा था और समूचे देश के लिए अंग्रेजी सबसे बड़े रावण थे तब इस महान विचारधारा को मानने वाले महान देश भक्तों के लिए तात्कालिक सरकारों में सत्ता प्राप्ति में बाधक और अंग्रेजों के विरोध में लड़ने वाली कांग्रेस व अन्य क्रांतिकारी नेता जन ही सबसे बड़े रावण थे जिनकी वह हत्या कर उन्हें जड़ से नष्ट कर देना चाहते थे ।


जरा सोचिए इस कार्टून में सामने रावण के रूप में कौन-कौन दिखाई दे रहा है गांधी नेहरू सुभाष पटेल मौलाना आजाद व अन्य तत्कालीन बड़े नेता जो पूरी ताकत से अंग्रेजों से हर मोर्चे पर लड़ रहे थे क्या यह आप सोच भी सकते हैं जिस पटेल को इसी विचारधारा के लोग कभी रावण के रूप में प्रकाशित कर मार देना का संदेश जनता को देना चाहते थे उस पटेल के नाम पर मोदी सरकार ने सरदार सरोवर बांध बना बनाकर सबसे बड़ी मूर्ति लगवा दी क्याऔ कहलाता है यह दोहरा चरित्र इसके अन्य कई उदाहरण भी मौजूद है जैसे


सुभाष चंद्र बोस जिनकी देशभक्ति पर कोई सपने में भी प्रश्न नहीं उठा सकता आखिर उन्हें रावण घोषित कर क्यों मार देना चाहती थी यह विचार धारा और उसके यह वीर और महान देश भक्त राम और लक्ष्मण नेता आज उसी विचारधारा की पार्टी भाजपा के प्रधानमंत्री सुभाष चंद्र बोस से संबंधित दस्तावेजों के खुलासे आदि के नाम पर तमाम घोषणाएं करते नजर आते हैं अगर सुभाष को उनकी विचारधारा के हिसाब से उह समय मार दिया जाना चाहिए था तो आज यह नाटक क्यों हो रहा है ।


यही हाल गांधी का भी है जो विचारधारा लगातार गांधी की हत्या करने का संदेश देश के नागरिकों को देती रही और अंत में अपनी योजना में सफलता के साथ गांधी की हत्या में वे सफल भी रहे यह विचार धारा जो गांधी वध के समर्थन में तमाम तर्कों के साथ-साथ देश के बंटवारे को भी एक बड़ा कारण बताकर अपने जधन्य आपराधीक दुष्कृत्य को देशभक्त में उठाया गया सबसे बड़ा कदम साबित करने में लगे रहते हैं उनसे पूछना चाहता हूं कि 1945 में देश का कौन सा बंटवारा हो चुका था जो गांधी को रावण के रूप में प्रदर्शित कर आप जनता को गांधी की हत्या के लिए प्रेरित करने वाला कार्टून प्रकाशित कर रहे थे


मैं गांधी के देश से आया हूं यह कह विदेशों में गर्व से अपना सीना चौड़ा करते दिखाई देने वाले हमारे प्रधानमंत्री ने अभी जी -20 सम्मेलन में आए सभी विदेशी मेहमानों को कार्टून में प्रकाशित उसी रावण गांधी की समाधि पर ही सभी मेहमानों को ले जा कर सम्मानित महसूस करा था अब प्रश्न यह उठता है कि उसी कार्टून में राम और लक्ष्मण के रूप में प्रकाशित देशभक्तों की समाधि स्थल पर वह उन मेहमानों को क्यों नहीं ले गए और तो और इस ही विचार धारा के सबसे बड़े देश भक्त जिसने इस गांधी रुपी रावण की हत्या कर इस देशभक्त विचारधारा को संजीवनी भी दी थी की समाधि तो दूर किसी बड़े मंच तक से उसका नाम भी लेने की हिम्मत नहीं  जुटा पाता यह सरकार और भाजपा क्या अपनी ही विचार धारा के सच के साथ खड़े होने में डरते हैं और सत्ता के लिए अपनी विचारधारा को दोहरे चरित्र के साथ अंदर ही अंदर बढ़ावा दे कर सार्वजनिक मंचों पर गांधी की तारीफ के कसीदे पढ़ते हैं 


अब आप समझ सकते हैं कि मैं दो रावणों की तुलना आज क्यों की क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि जैसे गांधी की को सन 1945 में रावण दर्शाकर योजना के साथ गांधी वध को अंजाम दिया गया क्या राहुल के साथ भी कुछ वैसी ही परिस्थितियों के निर्माण की तैयारी है ?


क्या एक गांधी वध के बाद इस देश को दूसरे गांधी वध के लिए तैयार रहना होगा वैसे तो इस देश ने तमाम बार गांधी बध देखा है फिर चाहे वह इंदिरा गांधी हो या राजीव आखिर क्या कारण हो सकता हैं राहुल को भारत की जनता की नजर में रावण साबित करने का ?


फैसला आपको करना है कि कौन देशभक्त है अंग्रेजों से लड़ने वाले या अंग्रेजों से लड़ने वालों की हत्या करने की साजिश करने एवं अंग्रेजों से माफी मांग कर सदैव अंग्रेजी सरकार की सेवा करने की कसम खाने वाले आज सिर्फ इतना ही अगर वीडियो अच्छा लगा हो तो लाइक करें शेयर करें चैनल को सब्सक्राइब करें और अपना सहयोग प्रदान करते रहे नमस्कार ।